Monday, October 26

प्रत्युतर


कुछ खामोशियाँ अन-सुलझी अभी मुन्तजिर हैं मेरी,
उनसे निपट लूँ तो तेरे सवालों का जबाब भी दे दूँ ....



5 comments:

Anonymous said...

Nice lines ......But must no be stolen...Just kidding..,��

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...

चुराना ही आता तो दोस्तों के दिल नहीं चुराते !

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

जो कह के बयाँ हो वो दर्द कैसा
जो बिन कहे ना समझ सके वो हमदर्द कैसा

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...

WOW