Sunday, February 14

कुछ तो कहो

कहो

....कुछ तो कहो

...........मेरे मीत

.............कि मेरे ये एकाकीपन की दीवार टूटे

...............और अँधेरे ह्रदय में कोई रौशनी की किरण फूटे

कुछ दो परस ऐसा

....कि मन पे पड़े पत्थर पिघलें

......और तप्त वसुधा के से ये प्राण फिर से सरसें

सुनाओ वह संगीत

....कि सोये इस अंतर्मन में कोई वीणा जागे

.......और कोई जीवन सुमन मेरी फुलवारी में नाचे

सुनो तो मेरी आवाज़

.....जो सागर की तलहटियों में बैठकर

............मैंने आकाश के पार तक दी हे

.................कि शायद तुम इसे सुन सको

.......................कि तुम इसे लौटा सको

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